वो आया था मेरी ज़िंदगी में
प्यार वाला , मीठा वाला
इश्क़ वाला लव लिए
समा गया था मेरे दिलमे
बस
अब उसने अपनी बारी खेली
वो कुतरने लगा
मेरा दिल
जैसे चूहे अक्सर कुतर जाते हैं
आलमारी में घुस
कपड़ो को
और फिर निकल जाते हैं
चुपचाप
वैसे ही
ये जेहाद वाला लव भी
मैंने अपने दिलकी आलमीरा से
निकाल फेंका
जैसे अम्मा फेंकती है
फ्रीज से
मिर्ची की पन्नी में से निकाल
बेकार मिर्चियाँ
manish bhartiya
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